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शुक्रवार, 18 दिसंबर 2015

गौ-सुषमा



                          गो-सुषमा (गाय के बारें में) 



















संस्कृत में गाय को गो कहा जाता हैं। हिन्दी में प्रेम से गौ, गऊ, गैया, गौ माता भी कहा जाता हैं
बछड़े के साथ गाय को धेनु कहते हैं, और सभी कामनाये पूरी होने से कामधेनु कहते हैं। 
सुषमा का अर्थ हैं - बहुत अधिक सुंदरता। संसार की सुंदरता (प्रेम, सुख, मिलन....) को कुरूपता (नफरत, दुख, वियोग....) में बदलते समय नहीं लगता। जो बदल जाए, उसमे कैसी सुंदरता? जो कभी बदलती नहीं, किन्तु छुपी रहती हैं और बिच - बिच में अपनी झलक दिखलाकर आकर्षित करती हैं, ईश्वर की वह सुंदरता ही सुषमा हैं, जिसके दर्शन बिना मनुष्य तृप्त नहीं होता और उसे पाने के लिए भटकता रहता हैं। 

' सुषमा की खोज ' , यही ऋषियों की देन हैं और यही मानव का लक्ष्य का हैं। 
गो - सुषमा को हमारे ऋषियों ने देखा और इस कारण उसे माँ कहा। 

गाय की कहानी :-


 गाय ने की प्राणों की रक्षा  :-

रोहित के सरल मन में उठने वाले सरल प्रश्नों से उसके मित्र परेशान थे। 
रोहित :- अरे वरुण गाय को माँ क्यों कहते हैं ?
अरुण :- बुध्दू ! इतना भी नहीं पता, गाय हमें दूध देती हैं, इससे उसे गाय माँ कहते हैं। 
(इस बात से रोहित को मजाक सूझा। 
रोहित :- यह लो दूध देने वाली भैंस भी आ गई। 
अरुण :- भैंस को माँ थोड़े ही कहा जाता हैं?
(रोहित ने फिर प्रश्न दागा)
रोहित :- क्यों  भैंस भी तो हमें दूध देती हैं? फिर उसे माँ क्यों नहीं कहते?
अरुण :- माँ का पद तो गाय को मिल गया। फिर भैंस को माँ कैसे कहेंगे 
(रोहित के मन में नया प्रश्न उठा)
रोहित :- अच्छा , भैंस को मौसी कहें तो?
( इस बात पर उनके सभी दोस्त हंस पड़े और बोले..भैंस मौसी ! हाँ..हाँ..हा..हा...)
(रोहित के प्रश्न पर सबको मजा आ गया। और बकरी को देखकर रोहित बोला)
रोहित :- बकरी माँ !  हा..हा..हा..हा.. !!!!
(और सभी हंस पड़े)
(वरुण समझ गया था की रोहित का सवाल इतना सरल नही हैं। )
रोहित :- चलो, श्रीदामा ग्वाले से पूछते हैं। 
( सभी ग्वाले के पास जाकर पूछते हैं)
वरुण :- दामू भैया ! गाय को माँ क्यों कहते हैं?
दामू ग्वाला :- इक दिन की बात हैं - मैं गाय, भैंस, बकरियों को चरा रहा था। 
की तभी अचानक एक नरभक्षी बाघ ने मुझ पर हमला कर दिया। 
और मैं चिल्लाया - बचाओ ! बचाओ ! बचाओ। 
भैंस, बकरिया तो वहा से भाग गयी, लेकिन गायों ने मुझे घेरकर उस बाघ पर हमला किया।  इसमें कुछ गायें घायल भी हुई।  
लेकिन आखिरकार उस बाघ को वहा से भागना पड़ा। 

इस कारण से गाय ने मेरी रक्षा कर दी। गाय माँ की तरह अपने प्राणों की चिंता नहीं करके हमारी रक्षा करती हैं, इसलिए हम उसे माँ कहते हैं। 

बछड़े को संस्कृत में वत्स कहते हैं। वत्स से ही बना हैं वात्सल्य अर्थात माँ का प्रेम।  
             
गाय से प्राप्त दूध, दही, घी, मक्खन, गौमूत्र, गौबर आदि हमारे लिए फायदेमंद हैं। 


(1) गाय का गोबर :- रोज खाओं दही, और सभी काम सही। 
 - गाय के गोबर को सुखाने पर थपेड़े बनते हैं - जो इसको जलाने पर ( सूखे हुए गोबर को) इसकी बची हुई राख से शरीर पर बने घाव भरने के काम आता हैं। 
- घर में गोबर की पुताई से घर सर्दी में गर्म और गर्मी में ठंडा रहता हैं। 
- इसकी जली हुई राख घाव पर लगाईं जाती हैं। 
- इसके थपेड़ों को जलाकर धुप भी किया जाता हैं। 
- इसकी राख से मंजन भी किया जाता हैं, जिससे मुंह में बदबू नही आती और दांत भी सफेद और मजबूत होते हैं। 
- गोबर, मुल्तानी मिट्टी, हल्दी से उबटन भी बनाया जाता हैं। जो मुंह पर इसका लेप 20 मिनट लगाने से मुहांसे गायब हो जाते हैं। 

गौ- मूत्र :- गौ- मूत्र में गंगा का वास होता हैं। रोज गौमूत्र पीने से वाट-कफ दोष निवारक हैं

(2) मक्खन :- बाजार में मिलने वाला मक्खन शुद्ध नही होता हैं वह तो कच्चे दूध से निकाली गयी चिकनाई हैं, जो शरीर का मौटापा बढ़ाता हैं। शुद्ध मक्खन तो वो हैं जो सीधे दही से मथकर निकाला जाता हैं। इस शुद्ध मक्खन को खाने से दिमाक की मेमोरी तेज होती हैं। भूलने की बिमारी कम हो जाती हैं। यह दिमाक के लिए एक टॉनिक भी हैं। 

(3) घी :- गाय का शुद्ध घी खाओ और स्वस्थ रहों। बाबा रामदेव कहते हैं,कि गाय का घी नाक में डालने से आज्ञाचक्र को शक्ति मिलती हैं। इससे योग में जल्दी प्रगति होती हैं। 
सावधानी :- नाक में घी डालते समय इसका तापमान शरीर के तापमान से कुछ अधिक हो। इसे सांस के साथ खींचे नहीं, बल्कि आज्ञाचक्र के पास ही रहने दें। और 1 घंटे तक पानी नही पीये।  

(4) दही :- गाय का शुद्ध दही रोज खानें से स्मरण शक्ति बढ़ती हैं
- और सुबह-सुबह खाली पेट दही पीने से पेट में किसी भी प्रकार की बिमारी नही होती, बल्कि हाजमा और आँतो को ठंडक भी मिलती हैं। 
-दही सुबह या दिन में कभी भी खाये लेकिन रात को नही खाना चाहिए क्योंकि रात में खाने से दिमाक कमजोर होता हैं। 
- दही से उबटन भी बनाया जाता हैं। 

(5) दूध :- गाय का दूध पीने से बहुत ताकत मिलती है। 
- दूध सभी भोजन का राजा भी कहलाता हैं। 
- चोट लगने पर गर्म दूध में हल्दी मिलाकर खड़े-खड़े ही पी जाएं, लाभ होगा। 
- दूध से उबटन भी बनाया जाता हैं। 
- दूध से बुद्धि तेज और मन शांत और शरीर सुडौल बनकर बजबूती भी मिलती हैं। 

(6) लस्सी :- लस्सी के गुण अस्सी। 
- रोज कोल्ड ड्रिंक पीना छोड़ दीजिये और लस्सी पीना छुरु कीजिये। 
- cold drink में फॉस्फोरिक एसिड होता हैं, जिससे हड्डिया में कमजोरी आती हैं। लेकिन लस्सी पीने से हड्डिया बहुत ही मजबूत होती हैं। 

(7) छाछ :- गाय की ताजी छाछ पीने से आलस्य नही आता। भैस की छाछ से आलस्य आता हैं। 
- रोज छाछ पीने से यकृत को ताकत मिलती से पीलिया, गुर्दे की पथरी, मोतियाबिंद नही होता, और भोजन भी अच्छी तरह से पच जाता हैं।  










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